ZE-rose News

प्राइवेट स्नातक और परास्नातक के तरफ छात्रों का रुझान बढ़ा 

प्राइवेट स्नातक और परास्नातक के तरफ छात्रों का रुझान बढ़ा       

प्राइवेट स्नातक और परास्नातक द्वारा नई शिक्षा नीति में सेमेस्टर प्रणाली  ने छात्रों पर बढ़ाया भारी-भरकम आर्थिक बोझ !

किसी भी राष्ट्र की मजबूती का मुख्य आधार राष्ट्रभक्त और संस्कारित शिक्षित नागरिक होते हैं !यही कारण है कि विश्व के प्राय सभी देश शिक्षार्थियों पर कम से कम आर्थिक बोझ डालते हैं !लेकिन उत्तर प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक विद्यार्थियों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता दिख रहा है !यही कारण है की वर्ष में  चार चार बार परीक्षा असाइनमेंट और प्रोजेक्ट का झमेला और भारी-भरकम फीस अब विद्यार्थियों को रास नहीं आ रही है और धीरे-धीरे उनका रुझान प्राइवेट परीक्षा के माध्यम से स्नातक और परास्नातक डिग्री प्राप्त करने की तरफ हो रही है ।जिसका असर महाविद्यालयों में इस वर्ष होने वाले प्रवेश पर स्पष्ट रूप से दिख रहा है ।लगभग 2 माह पूर्व इंटरमीडिएट का परीक्षा फल घोषित होने के बावजूद किसी भी महाविद्यालय में निर्धारित सीट की अपेक्षा 20% सीट पर भी प्रवेश कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। इस संबंध में जब विद्यार्थियों से बात की गई तो उन्होंने जो तर्क दिया वह काफी माकूल दिखा ।

विद्यार्थियों ने बताया कि स्नातक कक्षाओं में रेगुलर प्रवेश लेने पर कम से कम 5000 से ₹7000 प्रवेश शुल्क देना पड़ेगा और और 1 वर्ष में 2 सेमेस्टर के लिए कम से कम 6 असाइनमेंट और 6 प्रोजेक्ट पर ढाई हजार खर्च करने के साथ ही साथ दर्शनशास्त्र, राजनीति शास्त्र ,समाजशास्त्र ,मनोविज्ञान ,भूगोल ,शिक्षा शास्त्र और गृह विज्ञान जैसे विषयों में 1-1 प्रैक्टिकल के नाम पर 500 से ₹1000 खर्च करना पड़ेगा साथ ही साथ माइनर और कोकेलकुलर विषय के नाम पर अलग से शुल्क देना और वर्ष भर में 4 बार परीक्षा देने का झमेला अलग से है ।एक लालच यह थी की लैपटॉप और मोबाइल सरकार देगी वह भी केवल अंतिम वर्ष के कुछ विद्यार्थियों को देखकर सरकार अपने काम का इतनी श्रीमान ले रही है। ऐसी स्थिति में स्नातक के 1 वर्ष में कम से कम 8000 से ₹10000 खर्च करना पड़ेगा। इसके विपरीत यदि प्राइवेट फॉर्म भर दिया जाए तो वर्ष में एक बार परीक्षा और 3000 से 3500 ₹ तक शुल्क देना पड़ेगा ।इसलिए प्राइवेट परीक्षा के माध्यम से डिग्री प्राप्त करना ज्यादा लाभदायक प्रतीत हो रहा है ।

परास्नातक कक्षाओं में तो छात्रों पर और भी अधिक आर्थिक बोझ पड़ रहा है ।क्योंकि इन कछाओ में प्रवेश के लिए कम से कम 10000 से ₹12000 वार्षिक शुल्क ,वर्ष भर में 10 असाइनमेंट और 10 प्रोजेक्ट के मदमें कम से कम ₹3000 और रिसर्च प्रोजेक्ट के मद में कम से कम 4 से ₹5000 अर्थात 1 वर्ष में 20 ००० से ₹25000 खर्च करना पड़ेगा ।यदि प्रयोगात्मक विषय है तो उसका खर्च अतिरिक्त से है। इसके विपरीत यदि प्राइवेट फार्म भर दिया जाए तो ₹4000 मैं 1 वर्ष की परीक्षा हो जाएगी और अधिक से अधिक ₹8000 खर्च कर परास्नातक की डिग्री प्राप्त कर छात्र अपना कैरियर बना सकेंगे ।क्योंकि नौकरीं के किसी भी विज्ञापन में रेगुलर डिग्री की कोई अनिवार्यता नहीं है ।इसलिए छात्रों का रुझान प्राइवेट परीक्षा के माध्यम से डिग्री प्राप्त करने की तरफ बढ़ रहा है। यही कारण है कि इस बार डिग्री कॉलेजों में रेगुलर प्रवेश लेने वालों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है।

राइवेट स्नातक और परास्नातक के तरफ छात्रों का रुझान बढ़ा

उक्त बातें प्रो० अजय मिश्र ( बी. आर. डी . बी. डी. पी. जी. कालेज आश्रम बरहज, देवरिया, उत्तर-प्रदेश  के तत्कालीन  प्राचार्य व बर्तमान में प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर ) के द्वारा संदर्भित की गई हैं। डा०. मिश्र समय समय पर अपने विचार समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिए व्यक्त करते रहते हैं एवं समयानुसार किसी ना किसी माध्यम से समाज के बुध्दिजीवी वर्ग को सचेत करने का प्रयास करते रहते हैं जिससे समाज में पठन-पाठन को लेकर सामंजस्य बना रहे।

यह भी पढ़ें : Gptchat आखिर है क्या, क्या आपको पता है ?

Exit mobile version